अब ना बाढ़ की खबर, ना सूखे की चेतावनी! सिंधु जल संधि सस्पेंड होने से पाकिस्तान की शामत आई

Indus Water Treat:- भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के चलते भारत ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 1960 की सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को सस्पेंड कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार कर दिया है। अब पाकिस्तान के लिए संकट के बादल मंडरा रहे हैं — बाढ़ हो या सूखा, दोनों से तबाही तय है।

भारत द्वारा सिंधु जल संधि सस्पेंड किए जाने के बाद पाकिस्तान में बाढ़ और सूखे का खतरा बढ़ा, पहलगाम हमले के बाद बड़ा कूटनीतिक कदम।
Indus Water Treaty

आइए विस्तार से समझते हैं कि सिंधु जल संधि के निलंबन का पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा और भारत ने यह बड़ा कदम क्यों उठाया।

सिंधु जल संधि क्या है? (What is Indus Water Treaty?)

  • साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से सिंधु नदी प्रणाली के जल बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था।
  • इसके तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों पर पूर्ण नियंत्रण मिला।
  • जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों पर प्राथमिक अधिकार दिया गया।
  • इस संधि ने दोनों देशों के बीच जल विवाद को लंबे समय तक टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

लेकिन अब इस संधि के निलंबन से तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। इसे भी जरूर पढ़ें:- सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर मिशा अग्रवाल का निधन: जन्मदिन से दो दिन पहले चली गई जिंदगी, सदमे में फैंस

भारत ने क्यों सस्पेंड की सिंधु जल संधि?

  • जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत।
  • हमले की जिम्मेदारी ली The Resistance Front (TRF) ने, जो पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन है।
  • भारत ने साफ कहा — "सीमा पार आतंकवाद" अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
  • पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

सिंधु जल संधि के निलंबन से क्या-क्या बदलेगा?

1. इंडस जल आयुक्तों की बैठकें बंद होंगी

  • अब भारत और पाकिस्तान के जल आयुक्तों के बीच सालाना बैठकें नहीं होंगी।
  • विवादों को सुलझाने का जो एकमात्र माध्यम था, वह भी खत्म हो जाएगा।

2. जल संबंधी आंकड़े नहीं मिलेंगे

भारत अब पाकिस्तान को:

  • नदियों के प्रवाह का डेटा
  • बाढ़ की चेतावनी
  • ग्लेशियर पिघलने की जानकारी नहीं देगा।
  • इससे पाकिस्तान को बाढ़ या सूखे का समय रहते अंदाजा नहीं हो पाएगा।

3. परियोजनाओं की जानकारी नहीं दी जाएगी

  • भारत अब पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) पर नए जलविद्युत परियोजनाओं को बिना पाकिस्तान को सूचना दिए शुरू कर सकता है।
  • पाकिस्तान की आपत्ति या निरीक्षण की प्रक्रिया खत्म हो जाएगी।

4. पाकिस्तानी आयुक्तों का निरीक्षण बंद

  • पाकिस्तान के जल आयुक्त अब भारतीय हिस्सों, खासकर जम्मू-कश्मीर में जाकर निरीक्षण नहीं कर पाएंगे।
  • इससे पाकिस्तान को भारतीय जल परियोजनाओं की ग्राउंड रिपोर्ट नहीं मिलेगी।

5. स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) की रिपोर्ट बंद

  • अब कोई वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित नहीं होगी।
  • इससे पाकिस्तान की सिंचाई और कृषि योजनाओं के लिए रिस्क बढ़ जाएगा।

पाकिस्तान पर सिंधु जल संधि सस्पेंड होने का प्रभाव

  • 90% सिंचाई व्यवस्था सिंधु नदी पर निर्भर है।
  • जल आपूर्ति बाधित होने पर पाकिस्तान में:
    • कृषि उत्पादन में भारी गिरावट
    • खाद्य संकट
  • आर्थिक बदहाली होना तय है।
  • बाढ़ या सूखे के खतरों की समय रहते जानकारी न होने से जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है।
  • पहले से आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान के लिए यह स्थिति डूबते को और गहरे पानी में ले जाने जैसी है।

सलाल बांध का भी जिक्र क्यों जरूरी है?

  • भारत ने चेनाब नदी पर 1980 के दशक में सलाल जलविद्युत परियोजना बनाई थी।
  • यह परियोजना सिंधु जल संधि के तहत बनी थी।
  • अब आगे भारत पश्चिमी नदियों पर और भी बड़ी परियोजनाओं को बिना रोक-टोक तेजी से आगे बढ़ा सकेगा।

भारत का सिंधु जल संधि को सस्पेंड करना केवल एक जल प्रबंधन का फैसला नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन की बड़ी कीमत चुकाने का सीधा संदेश है। आने वाले समय में पाकिस्तान को अपने राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक ढांचे में इस फैसले का गंभीर असर देखने को मिलेगा।

अब ना बाढ़ की चेतावनी मिलेगी, ना सूखे की कोई खबर... यानी पाकिस्तान के लिए मुसीबतों का सैलाब तैयार है!

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