माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, प्रयागराज (UPMSP) ने शिक्षकों और परीक्षा से जुड़े कर्मियों के पारिश्रमिक में वृद्धि की है, जो शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू होगी। यह निर्णय दिवाली के अवसर पर लिया गया, जिससे बोर्ड परीक्षा के दौरान ड्यूटी करने वाले अध्यापकों और अन्य संबंधित कर्मियों को अधिक पारिश्रमिक मिलेगा।
नीचे एक सारणी में विभिन्न पदों के लिए पुराने और नए पारिश्रमिक दरों की तुलना प्रस्तुत की गई है
| पद का नाम | पुरानी दर (₹ प्रति पाली) | नई दर (₹ प्रति पाली) | पुरानी दर (₹ प्रति दिन) | नई दर (₹ प्रति दिन) |
|---|---|---|---|---|
| केंद्र व्यवस्थापक | 80 | 100 | 160 | 200 |
| अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक | 53 | 60 | 106 | 120 |
| कक्ष निरीक्षक | - | - | 96 | 100 |
| लिपिक | 33 | 40 | - | - |
| बंडल वाहक | 16 | 20 | - | - |
| चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | 26.50 | 30 | - | - |
| संकलन केंद्र मुख्य नियंत्रक | - | - | 67 | 75 |
| उप नियंत्रक | - | - | 53 | 60 |
| सह उप नियंत्रक | - | - | 48 | 55 |
| कोठारी | - | - | 44 | 50 |
| तृतीय श्रेणी कर्मचारी | - | - | 30 | 40 |
| चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | - | - | 14 | 20 |
| मूल्यांकन केंद्र मुख्य नियंत्रक | - | प्रति परीक्षक 6 | - | प्रति परीक्षक 8 |
| मूल्यांकन केंद्र उप नियंत्रक | - | प्रति परीक्षक 5 | - | प्रति परीक्षक 7 |
| कक्षा नियंत्रक | - | - | 60 | 75 |
| जलपान व्यय | - | - | 20 | 25 |
इसके अतिरिक्त, परीक्षा के दौरान ड्यूटी करने वाले अध्यापकों और कर्मचारियों के जलपान भत्ते में भी वृद्धि की गई है। पहले यह राशि प्रति व्यक्ति ₹20 थी, जिसे अब बढ़ाकर ₹25 कर दिया गया है।
शिक्षकों को यह पैसा कब और कैसे मिलेगा?
शिक्षकों को उनकी मेहनत का भुगतान समय पर हो, इसके लिए सरकार ने नए नियम बनाए हैं।
ऑनलाइन भुगतान: अब शिक्षकों को कॉपी जांचने का पैसा सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाएगा। इससे भ्रष्टाचार और देरी की संभावना कम हो जाएगी।
समय पर भुगतान: यूपी बोर्ड ने आदेश दिया है कि परीक्षा के बाद जल्द से जल्द शिक्षकों को उनका मेहनताना दिया जाए। पहले यह भुगतान महीनों की देरी से होता था।
ट्रांसपेरेंसी: पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सभी शिक्षकों को ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी भुगतान स्थिति चेक करने की सुविधा मिलेगी।
यूपी बोर्ड ने यह बदलाव क्यों किया?
यूपी सरकार और माध्यमिक शिक्षा परिषद ने शिक्षकों की मेहनत को पहचानते हुए यह बदलाव किए हैं। इसके पीछे कई कारण हैं—
1. शिक्षकों में असंतोष दूर करना:
पहले शिक्षकों को कॉपी जांचने के लिए बहुत कम भुगतान मिलता था, जिससे वे असंतुष्ट रहते थे। कई बार शिक्षकों ने हड़ताल भी की थी और कॉपी जांचने से मना कर दिया था।अब इस बदलाव के बाद शिक्षकों में खुशी का माहौल है।
2. उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन की गुणवत्ता में सुधार:
जब शिक्षकों को उचित मेहनताना मिलेगा, तो वे और अधिक ध्यान और ईमानदारी से कॉपी जांचेंगे। इससे परीक्षाफल की गुणवत्ता में सुधार होगा और छात्रों को सही अंक मिलेंगे।
3. अन्य राज्यों के मुकाबले यूपी में सुधार:
अन्य राज्यों में शिक्षकों को पहले से ही अधिक पारिश्रमिक मिलता था। अब यूपी भी अन्य राज्यों की बराबरी में आ गया है।
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शिक्षकों की प्रतिक्रिया कैसी है?
शिक्षकों ने इस फैसले का स्वागत किया है।अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष ने कहा कि यह सरकार का बहुत अच्छा फैसला है और इससे शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा। स्कूल शिक्षक, अजय मिश्रा ने कहा, "पहले हमें बहुत कम पैसे मिलते थे, जिससे कॉपी जांचने में मन नहीं लगता था। अब हमें उचित मेहनताना मिलेगा, जिससे हम और अधिक ध्यान से कॉपी जांचेंगे।"हालांकि, कुछ शिक्षकों का कहना है कि अभी भी यह राशि कम है और इसे और बढ़ाने की जरूरत है।
यूपी बोर्ड परीक्षा में शिक्षकों की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?
शिक्षकों की भूमिका केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे परीक्षा में भी अहम भूमिका निभाते हैं—
1. उत्तर पुस्तिका जांचने की जिम्मेदारी:
शिक्षकों को छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं को ध्यानपूर्वक जांचना होता है।उन्हें सुनिश्चित करना होता है कि सभी प्रश्न सही ढंग से जांचे गए हैं और सभी अंकों की गणना ठीक से की गई है।
2. परीक्षा केंद्रों पर कर्तव्य:
परीक्षा केंद्रों पर शिक्षकों को परीक्षा का संचालन करना होता है।वे नकल रोकने और अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाते हैं।
3. परिणामों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना:
अगर शिक्षक सही मूल्यांकन नहीं करेंगे, तो छात्रों के भविष्य पर असर पड़ेगा।इसलिए यूपी बोर्ड ने यह फैसला किया कि शिक्षकों को उनकी मेहनत के अनुसार उचित भुगतान मिले।
मूल्यांकन प्रक्रिया और प्रशिक्षण:
उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया 19 मार्च 2025 से 2 अप्रैल 2025 तक प्रदेश के 261 केंद्रों पर आयोजित की जाएगी। मूल्यांकन कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, 18 मार्च 2025 को सभी परीक्षकों और उप प्रधान परीक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य मूल्यांकन प्रक्रिया में एकरूपता और सटीकता सुनिश्चित करना है।
परीक्षकों के लिए कार्यभार निर्धारण:
बोर्ड ने परीक्षकों के कार्यभार को भी स्पष्ट किया है हाईस्कूल (10वीं): प्रति दिन अधिकतम 50 उत्तर पुस्तिकाएं, कुल अवधि में 700 उत्तर पुस्तिकाएं। कला विषयों के लिए, प्रति दिन 80 और कुल अवधि में 800 उत्तर पुस्तिकाएं।
इंटरमीडिएट (12वीं): प्रति दिन अधिकतम 45 उत्तर पुस्तिकाएं, कुल अवधि में 600 उत्तर पुस्तिकाएं।
यह सीमा इसलिए निर्धारित की गई है ताकि मूल्यांकन की गुणवत्ता बनी रहे और परीक्षकों पर अत्यधिक भार न पड़े।
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मूल्यांकन केंद्रों पर सुरक्षा और निगरानी:
मूल्यांकन केंद्रों पर सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं:
सीसीटीवी निगरानी: मूल्यांकन प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होगी, और आवश्यकता पड़ने पर रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराई जाएगी।
प्रवेश प्रतिबंध: मूल्यांकन केंद्रों में केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही प्रवेश की अनुमति होगी। अनधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध रहेगा, और उल्लंघन की स्थिति में सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम, 2024 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्रतिबंध: उप प्रधान परीक्षकों और परीक्षकों को मूल्यांकन कक्ष में मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
ओएमआर शीट मूल्यांकन:
हाईस्कूल के विद्यार्थियों की ओएमआर शीट का मूल्यांकन उत्तर पुस्तिकाओं से पहले 6 मार्च 2025 से ही शुरू किया जाएगा। ओएमआर शीट की अधिक संख्या को देखते हुए, इसे तीन चरणों में संकलन केंद्र से क्षेत्रीय कार्यालय और फिर कंप्यूटर फर्म तक पहुंचाने का निर्देश दिया गया है।
निष्कर्ष
यूपी बोर्ड ने शिक्षकों के लिए कॉपी जांचने की फीस में बढ़ोतरी कर दी है, जिससे वे अधिक उत्साह से अपना कार्य कर सकें। यह बदलाव न केवल शिक्षकों के लिए बल्कि छात्रों और पूरे शिक्षा तंत्र के लिए फायदेमंद होगा
मुख्य बातें संक्षेप में:
✅ कॉपी जांचने का पारिश्रमिक बढ़ाया गया – हाई स्कूल ₹3 प्रति कॉपी, इंटरमीडिएट ₹4 प्रति कॉपी
✅ परीक्षा ड्यूटी में लगे शिक्षकों का मेहनताना बढ़ाया गया
✅ ऑनलाइन भुगतान से भ्रष्टाचार और देरी खत्म होगी
✅ इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा
अब देखना यह होगा कि इस बदलाव के बाद शिक्षकों की संतुष्टि कितनी बढ़ती है और परीक्षा परिणामों की गुणवत्ता में कितना सुधार आता है।
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