नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बैरी विल्मोर की अंतरिक्ष से धरती पर वापसी में अप्रत्याशित देरी हुई है, जो उनके स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। यह देरी अंतरिक्ष यान की तकनीकी खामियों के कारण हुई, जिससे उनका मिशन 8 दिनों से बढ़कर लगभग 9 महीनों तक खिंच गया।
मिशन की पृष्ठभूमि और देरी के कारण
सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर ने 5 जून 2024 को बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से एक परीक्षण उड़ान के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर प्रस्थान किया था। उन्हें एक सप्ताह के बाद धरती पर वापस आना था, लेकिन तकनीकी खराबियों के कारण उनकी वापसी में देरी होती गई।
सितंबर 2024 में स्टारलाइनर को बिना चालक दल के धरती पर वापस लाया गया था। सुरक्षा कारणों के चलते सुनीता और विल्मोर की वापसी को रोकने का फैसला लिया गया। नासा ने यह भी बताया कि इन दोनों की वापसी की योजना फरवरी 2025 में बनाई गई थी, लेकिन नए कैप्सूल की देरी के कारण उनकी वापसी मार्च 2025 के अंत तक या फिर संभवतः अप्रैल 2025 तक हो सकती है।
अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के स्वास्थ्य प्रभाव
अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से मानव शरीर पर कई प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. हड्डियों का घनत्व कम होना: माइक्रोग्रैविटी के कारण हड्डियों पर भार कम होता है, जिससे हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है। यह स्थिति ऑस्टियोपोरोसिस जैसी होती है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
2. मांसपेशियों की कमजोरी: गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण मांसपेशियों का उपयोग कम होता है, जिससे मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। यह स्थिति धरती पर लौटने पर चलने-फिरने में कठिनाई पैदा कर सकती है।
3. हृदय संबंधी समस्याएं: अंतरिक्ष में हृदय को उतना परिश्रम नहीं करना पड़ता जितना धरती पर, जिससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। यह स्थिति रक्तचाप और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है।
4. दृष्टि संबंधी समस्याएं: माइक्रोग्रैविटी के कारण सिर में तरल पदार्थ का जमाव बढ़ सकता है, जिससे दृष्टि पर प्रभाव पड़ सकता है।
5. मनोवैज्ञानिक प्रभाव: लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से मानसिक तनाव, अकेलापन और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर की वर्तमान स्थिति
नासा ने घोषणा की है कि सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर 16 मार्च 2025 तक धरती पर लौट सकते हैं। लेकिन इतने लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद धरती पर खुद को फिर से ढालना उनके लिए आसान नहीं होगा। उन्होंने हाल ही में बताया कि अंतरिक्ष में फंसे रहने का उनका सबसे कठिन वक्त उनके लौटने के इंतजार का था।
अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए, सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर की सुरक्षित वापसी और पुनर्वास के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यह घटना अंतरिक्ष यात्राओं में तकनीकी विश्वसनीयता और आपातकालीन स्थितियों के प्रबंधन के महत्व को भी रेखांकित करती है।
नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बैरी विल्मोर, जो पिछले नौ महीनों से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर फंसे हुए थे, अब जल्द ही धरती पर लौटने वाले हैं। नासा ने उनकी वापसी की तारीख 19 मार्च 2025 तय की है।
मिशन की शुरुआत और समस्याएं:
5 जून 2024 को, सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल में सवार होकर 8-दिवसीय परीक्षण उड़ान पर आईएसएस के लिए रवाना हुए थे। हालांकि, कैप्सूल में हीलियम लीक और थ्रस्टर में खराबी जैसी तकनीकी समस्याओं के कारण उनकी वापसी में देरी हुई। इन समस्याओं के चलते स्टारलाइनर को बिना चालक दल के ही धरती पर वापस लाने का निर्णय लिया गया, जबकि विलियम्स और विल्मोर को आईएसएस पर ही रुकना पड़ा।
वापसी की योजना:
नासा ने अब स्पेसएक्स के क्रू-10 मिशन के माध्यम से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर वापस लाने की योजना बनाई है। क्रू-10 मिशन में नासा के अंतरिक्ष यात्री एनी मैकक्लेन और निकोल एयर्स, जापानी स्पेस एजेंसी के ताकुया ओनिशी और रोस्कोस्मोस के किरिल पेस्कोव शामिल हैं। यह मिशन 12 या 13 मार्च 2025 को लॉन्च किया जाएगा। क्रू-10 के आईएसएस पर पहुंचने के बाद, विलियम्स और विल्मोर एक सप्ताह तक हैंडओवर प्रक्रिया में शामिल होंगे और फिर 19 मार्च 2025 को धरती पर लौटेंगे।
अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने का रिकॉर्ड:
इस अप्रत्याशित देरी के कारण, सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने का नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। उनकी यह उपलब्धि अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर की आगामी वापसी न केवल उनके लिए बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण समुदाय के लिए भी एक महत्वपूर्ण घटना है। उनकी सुरक्षित वापसी की प्रतीक्षा पूरी दुनिया कर रही है।

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