2029 का सवाल—कौन होगा अगला प्रधानमंत्री?
हाल ही में इस सवाल को लेकर नई बहस छिड़ गई जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ग्लोबल फोरम में बड़ा दावा किया कि "2029 में भी मोदी ही प्रधानमंत्री रहेंगे।" इस बयान से विपक्ष में हलचल मच गई और शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने तो यह तक कह दिया कि मोदी जल्द ही राजनीति से संन्यास लेने की तैयारी में हैं।
तो चलिए, इस पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं और यह जानते हैं कि आखिर 2029 में भारत के प्रधानमंत्री को लेकर देश की राजनीति किस मोड़ पर खड़ी है।
देवेंद्र फडणवीस का दावा: 2029 में फिर प्रधानमंत्री मोदी
क्या कहा फडणवीस ने?
मुंबई में आयोजित ग्लोबल फोरम कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने साफ शब्दों में कहा:
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी के बारे में सोचने का यह सही समय नहीं है, क्योंकि 2029 में मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे।”
यह बयान अपने आप में एक बहुत बड़ी राजनीतिक घोषणा मानी जा रही है, क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी अभी भी पूरी तरह मोदी के नेतृत्व में ही 2029 तक का रोडमैप बना रही है।
RSS मुख्यालय का दौरा और संजय राउत का दावा
क्या सचमुच मोदी ले सकते हैं रिटायरमेंट?
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने नागपुर स्थित RSS मुख्यालय का दौरा किया था, जहां उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक की। इस मुलाकात के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने यह कहकर सनसनी फैला दी:
"पीएम मोदी संघ प्रमुख से टाटा-बाय बोलने गए थे। संघ अगला प्रधानमंत्री चुनने की प्रक्रिया में है। मोदी सितंबर में 75 साल के हो जाएंगे और बीजेपी की नीति है कि 75 पार नेता रिटायर हो जाते हैं।"
क्या मोदी की उम्र बनेगी बाधा?
संजय राउत का यह बयान इस तर्क पर आधारित था कि बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता 75 की उम्र पूरी होते ही सक्रिय राजनीति से दूर कर दिए गए। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अन्य कई नेताओं के उदाहरण सामने हैं।
हालांकि मोदी के मामले में ऐसा कोई स्पष्ट संकेत न तो पार्टी ने दिया है और न ही संघ की ओर से।
फडणवीस का पलटवार: मुगल नहीं, लोकतंत्र की संस्कृति है ये
“हमारी संस्कृति में जब पिता जीवित हो, तो उत्तराधिकार पर चर्चा करना अनुचित होता है। यह मुगल संस्कृति है, न कि भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा।”
फडणवीस ने यह स्पष्ट कर दिया कि नरेंद्र मोदी न केवल 2024 तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे, बल्कि 2029 में भी वही पार्टी का चेहरा होंगे।
RSS की भूमिका: कितना है ‘संकेत’?
क्या संघ तय करेगा अगला प्रधानमंत्री?
आरएसएस का सीधा हस्तक्षेप सरकार की नीतियों में भले न हो, लेकिन वह पार्टी के भीतर नेतृत्व और दिशा तय करने में हमेशा एक ‘मौन शक्ति’ की भूमिका निभाता रहा है।
संजय राउत का यह दावा कि “संघ अगला नेता महाराष्ट्र से तय करेगा”—सीधे तौर पर फडणवीस या नितिन गडकरी की ओर इशारा करता है।
हालांकि संघ ने कभी भी सार्वजनिक रूप से किसी नेता को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन नहीं दिया, यह तय करने की प्रक्रिया बीजेपी संसदीय बोर्ड और लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली से होती है।
2024 और उसके बाद: मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ
क्या 2024 के बाद भी मोदी लहर कायम रहेगी?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने नेतृत्व में 2014 और 2019 में बीजेपी को जबरदस्त बहुमत दिलाया। 2024 का चुनाव मोदी के नाम और चेहरे पर ही लड़ा जा रहा है। अगर बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आती है, तो यह तय है कि मोदी का प्रभाव 2029 तक भी बना रहेगा।
लोकप्रियता में कोई कमी नहीं
आज भी नरेंद्र मोदी भारत के सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं। चाहे अंतरराष्ट्रीय मंच हो या देश की आंतरिक राजनीति—उनका कद लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में उनके उत्तराधिकारी की चर्चा समय से पहले ही नजर आती है।
क्या है पार्टी की नीति 75 की उम्र पर?
बीजेपी में 75 की उम्र पार करने वाले नेताओं को सक्रिय राजनीति से हटाने की अनौपचारिक परंपरा रही है। लेकिन यह कोई लिखित नियम नहीं है।
मोदी जैसे अपवादों को देखते हुए पार्टी में ये लचीलापन दिखाई देता है कि यदि कोई नेता फिट, एक्टिव और पब्लिक सपोर्ट के साथ काम कर रहा हो, तो उम्र कोई बाधा नहीं बनती।
2029 का चेहरा: अगर मोदी नहीं तो कौन?
अगर, सिर्फ कल्पना करें कि 2029 में मोदी पीएम नहीं बनते, तो ऐसे कौन-कौन से नाम सामने आ सकते हैं?
अमित शाह: संगठन और रणनीति के मास्टरमाइंड
- योगी आदित्यनाथ: हिंदुत्व और सुशासन का चेहरा
- देवेंद्र फडणवीस: क्लीन इमेज और संघ के करीबी
- नितिन गडकरी: संघ प्रिय, मजबूत प्रशासक
लेकिन ये सब ‘अगर’ की बातें हैं। फिलहाल पार्टी पूरी तरह मोदी के पीछे खड़ी है।
मोदी युग अभी खत्म नहीं हुआ
देवेंद्र फडणवीस का बयान न केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया है, बल्कि बीजेपी के भीतर एक साफ-साफ संकेत है कि 2029 में भी नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार होंगे।
संजय राउत के दावों के विपरीत, न तो आरएसएस ने और न ही मोदी ने खुद को रिटायरमेंट की ओर इशारा किया है।
जनता का विश्वास, पार्टी का समर्थन और संघ का साथ—इन तीन स्तंभों पर मोदी 2029 की ओर बढ़ रहे हैं।
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