"प्रेमानंद महाराज: एक संन्यासी जीवन की शुरुआत"
पिता के सामने पहली बार रखी दिल की बात
कहते हैं कि जब कोई इंसान अपने जीवन का असली उद्देश्य जान लेता है, तो उसका दिल बेचैन हो उठता है। कुछ ऐसा ही हुआ प्रेमानंद जी के साथ। उन्होंने अपने पिता से एक दिन कहा—"आपसे एक प्रार्थना करनी है।"
पिता ने आश्चर्य से पूछा, "क्या बात है बेटा?"
प्रेमानंद जी ने जवाब दिया, "ये जिंदगी भगवान के नाम है… आप चाहे काट डालो, ना घर जाएंगे और न आपकी बात मानेंगे।"
जब प्रेमानंद जी ने कहा- “ये जिंदगी भगवान के नाम है”
ये वो शब्द थे, जो साधारण नहीं थे। एक बेटे ने अपने जीवन का समर्पण ईश्वर को करने का निर्णय लिया था। यह फैसला आसान नहीं था, खासकर तब जब वह अभी जीवन के आरंभिक पड़ाव पर थे। लेकिन उनके भीतर संत बनने की जो ज्वाला थी, वो किसी भी सांसारिक बंधन से अधिक प्रबल थी।
पिता का वो जवाब जिसने जीवन की दिशा बदल दी
बेटे की बात सुनकर उनके पिता स्तब्ध रह गए। लेकिन कुछ ही क्षणों में उन्होंने उन्हें गले से लगा लिया और तीन बार कहा—"जय श्री राम!" फिर अपने आशीर्वाद में उन्होंने वो वाक्य कहा, जो आज भी प्रेमानंद जी याद करते हैं:
“जाओ, अगर उशर (कचरे के ढेर) में भी बैठोगे तो फूलों की वर्षा होगी। लेकिन अगर तुमने किसी बहन-बेटी की तरफ गलत नजर डाली, तो फिर देख लेना।”
ये सिर्फ आशीर्वाद नहीं था, ये एक संकल्प था – एक गुरु और मार्गदर्शक का जन्म।
ब्रह्मचर्य व्रत की प्रतिज्ञा और उसके मायने
प्रेमानंद जी ने अपने पिता से वादा किया कि वे जीवनभर ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे और कभी उनका विश्वास नहीं तोड़ेंगे। ये वादा ही उनका तप, उनका धर्म, और उनका आधार बन गया। यही कारण है कि आज करोड़ों लोग उनके विचारों से प्रभावित होते हैं – क्योंकि उनके शब्दों में अनुभव की शक्ति है।
प्रेमानंद जी का मानना: सच्चे संकल्प की शक्ति
संत प्रेमानंद जी कहते हैं—"जब आप सच्चे मन से अच्छा करने की ठान लेते हैं, तो पूरी सृष्टि आपके पक्ष में काम करने लगती है।" यह बात सिर्फ कथन नहीं है, उन्होंने इसे अपने जीवन में जी कर दिखाया है।
बचपन से था अध्यात्म में रुझान
1972 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के एक छोटे से गांव में जन्मे प्रेमानंद जी का बचपन बाकी बच्चों से अलग था। उन्हें बचपन से ही भजन-कीर्तन, रामायण और सत्संगों में गहरी रुचि थी।
दादाजी से मिली विरासत और प्रेरणा
प्रेमानंद जी के दादा जी भी एक संन्यासी थे। उनका जीवन प्रेमानंद जी पर गहरा प्रभाव छोड़ गया। एक बच्चा जो अपने दादा को प्रभु भक्ति में लीन देखता था, उसके मन में धीरे-धीरे वही बीज अंकुरित होने लगे।
आज क्यों ट्रेंड करते हैं प्रेमानंद महाराज?
आज प्रेमानंद जी के सत्संग वीडियो इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स पर ट्रेंड करते हैं। वो कारण केवल उनका बोलने का तरीका नहीं है, बल्कि उनकी भावनात्मक गहराई, आध्यात्मिक दृष्टिकोण, और प्रभावशाली उदाहरण हैं, जो लोगों के दिल में सीधे उतरते हैं।
सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं प्रेमानंद जी के सत्संग
उनके सत्संगों में कहीं भी कोई बनावटीपन नहीं होता। वे जो कहते हैं, उसे जीते भी हैं। उनकी गंभीर बातें भी मुस्कान के साथ, और मजाक भी गूढ़ ज्ञान के साथ होता है। यही कारण है कि उनके वीडियो लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंचते हैं।
प्रेमानंद जी की बातें क्यों दिल को छू जाती हैं?
क्योंकि वो ज़िंदगी की जटिलताओं को बहुत सरल तरीके से समझा देते हैं। वे कहते हैं:
“ध्यान रखना, दुनिया के लिए नहीं, परमात्मा के लिए जिओ।”
“साधना का मतलब सिर्फ बैठना नहीं, अपने भीतर के राक्षसों से लड़ना है।”
जब आशीर्वाद बन गया जीवन का संबल
आज प्रेमानंद जी महाराज का जीवन करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनके पिताजी का दिया गया आशीर्वाद, उनका दृढ़ निश्चय, और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन ही उनकी आध्यात्मिक ऊंचाई का आधार बना।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें