हम तुम्‍हें गर्व महसूस कराएंगे... पत‍ि के शरीर से लिपटकर यूं बिलख पड़ीं नेवी अफसर विनय नरवाल की पत्‍नी हिमांशी, पहलगाम में हुए थे शहीद

शहीद नेवी अफसर विनय नरवाल की प्रेम और बलिदान की दास्तान

शहीद नेवी अफसर विनय नरवाल की प्रेम और बलिदान की दास्तान
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल
जब एक नवविवाहित दुल्हन अपनी मांग में सिन्दूर की खुशबू लिए, जीवन के सबसे खूबसूरत सपनों के साथ अपने पति के साथ एक नई शुरुआत कर रही हो और उसी वक्त नियति उसकी दुनिया उजाड़ दे—ऐसे पल को शब्दों में बयां करना बेहद मुश्किल है। लेकिन शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उनकी पत्नी हिमांशी की यह हृदय विदारक प्रेमगाथा केवल एक निजी क्षति नहीं, बल्कि पूरे देश का गर्व और पीड़ा दोनों है।

नई शुरुआत, जो अधूरी रह गई

16 अप्रैल 2025—यह तारीख हिमांशी और विनय नरवाल के जीवन का सबसे सुखद दिन था। भारतीय नौसेना में कार्यरत लेफ्टिनेंट विनय ने अपने प्रेम को विवाह के बंधन में बांधा था। दोनों ने अपने नए जीवन की शुरुआत के लिए कश्मीर की खूबसूरत वादियों को चुना था। पहलगाम की वादियों में खींची गई तस्वीरें, एक-दूसरे के गालों पर प्यार से की गई किस, और शाहरुख खान स्टाइल वाला पोज—यह सब एक परीकथा सा प्रतीत होता था। पर किसे पता था कि यह सुखद क्षण, जीवन की सबसे काली रात में बदल जाएगा। इसे भी जरूर पढ़ें:- पहलगाम आतंकी हमला 2025: कब मारा, क्यों मारा और किसने मारा? एक नज़र में हर बात

पहलगाम हमला और एक जीवन की आहुत‍ि

शादी के महज सात दिन बाद पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल वीरगति को प्राप्त हुए। आतंकियों द्वारा चलायी गई गोलियों ने उस नवयुवक का जीवन छीन लिया जिसने देश की सेवा को अपना धर्म माना था। उनके सीने, छाती और बाजुओं में गोलियां लगीं, लेकिन देश के लिए उनका जज़्बा अडिग रहा।

अंतिम विदाई—एक सन्नाटा, एक चीख

जब विनय का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ दिल्ली एयरपोर्ट लाया गया, तो माहौल पूरी तरह ग़मगीन था। नौसेना के अधिकारी, परिवारजन और अन्य लोग खामोशी से खड़े थे। लेकिन उस सन्नाटे को चीरती एक चीख थी—हिमांशी की। वो ताबूत से लिपटकर बिलख पड़ीं, "हम तुम्‍हें गर्व महसूस कराएंगे..."। उनकी आंखों से बहते आंसू, कांपते हाथ, और उस तिरंगे को छूती उंगलियां मानो कह रही थीं, "तुम गए नहीं हो, तुम हर सांस में जीवित हो।"

दिल को छूने वाला दृश्य

विनय की तस्वीर एक मेज पर रखी थी—वह मुस्कुरा रहे थे। नौसेना की वर्दी में वह फोटो उस वक्त की याद दिला रही थी जब वे गर्व के साथ राष्ट्र सेवा कर रहे थे। चारों ओर नौसेना के अधिकारी खड़े थे, सिर झुकाए। भारत माता की जय के साथ वहां सिर्फ़ आंखों में आंसू नहीं थे, बल्कि पूरे राष्ट्र की तरफ से एक सैल्यूट था।

हिमांशी—शक्ति और शोक का प्रतीक

हिमांशी की आंखों में एक साथ प्रेम, शोक और गर्व साफ़ दिखाई दे रहा था। वो केवल एक पत्नी नहीं थीं, वो एक सैनिक की धर्मपत्नी थीं, जिनके पति ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। हाथों में अभी भी शादी की मेहंदी का रंग बाकी था, लेकिन अब वो रंग शहादत की लालिमा में बदल चुका था।

परिवार और समाज की उम्मीद

विनय नरवाल केवल हिमांशी के जीवनसाथी नहीं थे, वे अपने परिवार की शान, अपने गांव करनाल (हरियाणा) की उम्मीद, और इस राष्ट्र के सच्चे सपूत थे। उनके पड़ोसी आज भी उनके अनुशासन, सरलता और नेतृत्व को याद करते हैं। मां ने अपने बेटे की अर्थी को कांधा दिया और बहन ने मुखाग्नि—यह केवल एक बलिदान नहीं, बल्कि हजारों दिलों को झकझोर देने वाला दृश्य था।

राष्ट्र की प्रतिक्रिया

पूरा देश विनय की शहादत से स्तब्ध है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गया, जिसमें हिमांशी की चीत्कार ने लोगों की आंखों को नम कर दिया। प्रधानमंत्री से लेकर आम नागरिकों तक, सभी ने इस बलिदान को सलाम किया। कई युवाओं ने तो सेना में भर्ती होने का संकल्प ले लिया, क्योंकि विनय की कहानी अब प्रेरणा बन चुकी है।

 एक वीर, एक प्रेम, एक वादा

हिमांशी ने जो वाक्य कहा, वह अब एक प्रण बन गया है: "हम तुम्‍हें गर्व महसूस कराएंगे..." यह सिर्फ एक पत्नी की भावना नहीं, बल्कि पूरे देश की आवाज़ है। विनय नरवाल अब केवल एक नाम नहीं, वे भारतीय सेना की गाथा के वो पन्ने बन चुके हैं, जो हर दिल में दर्ज होंगे।

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