भारत ने वर्ष 2025 में जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि सरकार की नीतिगत सुधारों, तेज GDP ग्रोथ, और वैश्विक कंपनियों के भारत में निवेश जैसे कारकों के कारण संभव हुई है।
1. कौन-से देश पीछे छूटे, भारत कैसे पहुंचा टॉप 4 में?
भारत ने दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की जो ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, वह केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि दशकों की मेहनत, आर्थिक नीतियों में सुधार और वैश्विक परिदृश्य में भारत की बढ़ती भूमिका का परिणाम है। वर्ष 2025 की शुरुआत में IMF और World Bank द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए चौथे स्थान पर जगह बनाई है।
जर्मनी जैसी विकसित अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ना आसान नहीं था। लेकिन भारत की लगातार मजबूत होती GDP ग्रोथ, बड़ी आबादी के कारण बढ़ती खपत, और वैश्विक कंपनियों का भारत की ओर झुकाव इस कामयाबी के अहम कारण रहे हैं। जबकि जर्मनी की ग्रोथ कुछ सालों से स्थिर या धीमी रही है, वहीं भारत ने कोविड-19 के बाद जिस तेजी से रिकवरी की है, वह दुनिया के लिए एक मिसाल बन गई।
भारत की अर्थव्यवस्था USD के मुकाबले PPP (Purchasing Power Parity) में तो पहले ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी थी, लेकिन अब नॉमिनल टर्म्स में भी भारत तेजी से अमेरिका, चीन और जापान के करीब पहुंच रहा है।
2. GDP के आंकड़ों में भारत की छलांग का राज
भारत की GDP में जो तेज़ी आई है, उसके पीछे कई रणनीतिक और ज़मीनी कारण हैं। सबसे पहले तो सरकार की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में किए गए सुधारों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है:
- मेक इन इंडिया और पीएलआई (Production Linked Incentive) स्कीम ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को गति दी है।
- डिजिटल इंडिया अभियान के कारण अब ग्रामीण इलाकों में भी डिजिटल लेन-देन और बैंकिंग की पहुंच आसान हुई है।
- GST और डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता से टैक्स बेस बढ़ा है और सरकारी राजस्व में इज़ाफा हुआ है।
- इन सबके साथ-साथ भारत की आईटी और फार्मा इंडस्ट्री का निर्यात भी लगातार बढ़ा है, जिससे विदेशी मुद्रा का भंडार मजबूत हुआ है।
- इसके अलावा, भारत में स्टार्टअप्स और युवा उद्यमियों का तेजी से उभरना भी GDP ग्रोथ का अहम कारक बन चुका है। यूनिकॉर्न कंपनियों की बढ़ती संख्या इसका उदाहरण है।
3. चौथी बड़ी इकोनॉमी बनने से भारत को क्या फायदे होंगे?
- अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का विश्वास: जब कोई देश दुनिया की टॉप अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होता है, तो ग्लोबल इन्वेस्टर्स उस देश में निवेश को सुरक्षित और फायदेमंद मानते हैं। इससे भारत में FDI (Foreign Direct Investment) में उछाल आएगा।
- डिप्लोमैटिक ताकत में वृद्धि: आर्थिक ताकत से ही वैश्विक मंचों जैसे G20, WTO, IMF आदि में भारत की बात अधिक गंभीरता से सुनी जाती है। इससे भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत होती है।
- रुपये की साख में इज़ाफा: जब भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, तो रुपये की स्थिति भी डॉलर के मुकाबले बेहतर होती है। इससे आयात सस्ता हो सकता है।
- टेक्नोलॉजी और R&D में निवेश: मजबूत इकोनॉमी होने के कारण सरकार और प्राइवेट सेक्टर अब रिसर्च और इनोवेशन में अधिक निवेश कर सकते हैं।
4. आम जनता की जिंदगी पर क्या असर डालेगा ये बदलाव?
यह सवाल आम आदमी के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि "हमें इससे क्या मिलेगा?"
- नौकरी के अवसर बढ़ेंगे: जैसे-जैसे निवेश और उत्पादन बढ़ेगा, वैसे-वैसे युवाओं को नौकरी के बेहतर अवसर मिलेंगे। मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस, और डिजिटल सेक्टर में भारी संभावनाएं हैं।
- महंगाई पर नियंत्रण: जब उत्पादन बढ़ता है और आयात सस्ता होता है, तो महंगाई पर भी कुछ हद तक नियंत्रण होता है। आम आदमी की जेब पर इसका सीधा असर पड़ता है।
- बैंकिंग सुविधाएं और लोन की आसान उपलब्धता: मजबूत इकोनॉमी में बैंकिंग सिस्टम भी स्थिर होता है, जिससे आम लोग आसानी से लोन और क्रेडिट हासिल कर सकते हैं।
- सरकारी योजनाओं में बढ़ोत्तरी: सरकार के पास अधिक टैक्स कलेक्शन होता है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाया जा सकता है।
5. 2025 के अंत तक भारत की इकोनॉमी कहां पहुंच सकती है?
वर्तमान ट्रेंड को देखा जाए तो भारत के पास तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भी पूरी संभावना है। जापान को पीछे छोड़ना कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि:
- भारत की GDP ग्रोथ अगले कुछ वर्षों तक 6.5% से ऊपर रह सकती है।
- स्टार्टअप्स, MSMEs और डिजिटल इकोनॉमी भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
- इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स जैसे कि भारतमाला, सागरमाला, और स्मार्ट सिटी मिशन आर्थिक विकास को गति देंगे।
- अगर वैश्विक संकट (जैसे युद्ध, महामारी या ऊर्जा संकट) नहीं होता है, तो 2025 के अंत तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के कगार पर होगा।
IMF और World Bank की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
IMF की अप्रैल 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की GDP नॉमिनल टर्म्स में $4.3 ट्रिलियन के आंकड़े को पार कर चुकी है। जबकि जर्मनी $4.2 ट्रिलियन पर है। वहीं World Bank ने भी भारत की विकास दर को दुनिया में सबसे तेज़ बताया है।
दोनों संस्थाओं ने भारत के सामाजिक-आर्थिक सुधारों, डिजिटलीकरण और निवेश को आर्थिक मजबूती का आधार बताया है।
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भारत की प्रमुख आर्थिक नीतियों और सुधारों की भूमिका
GST: टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के साथ-साथ टैक्स चोरी पर लगाम लगाई गई।
UDAY स्कीम: बिजली वितरण कंपनियों को राहत देकर ऊर्जा सेक्टर को स्थिर किया गया।
आत्मनिर्भर भारत: लोकल उत्पादों को बढ़ावा देने से रोजगार और निर्माण दोनों को बल मिला।
डिजिटल इंडिया और फिनटेक: भुगतान प्रणाली की पारदर्शिता और गति दोनों में सुधार हुआ।
नौकरी, निवेश और व्यापार पर संभावित असर
नौकरी: सेक्टर-विशिष्ट स्किल डेवेलपमेंट पर जोर देने से युवाओं को मल्टी-डोमेन नौकरियां मिलेंगी।
निवेश: भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बनने की ओर अग्रसर है। विदेशी निवेशक अब चीन के मुकाबले भारत को सुरक्षित मानते हैं।
व्यापार: भारत का एक्सपोर्ट बेस अब केवल पारंपरिक वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजिटल सर्विसेज, फार्मा और टेक्नोलॉजी आधारित है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती ताकत
G20 की अध्यक्षता: भारत ने 2023 में सफलतापूर्वक G20 की अध्यक्षता कर विश्व स्तर पर नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया।
QUAD, BRICS जैसे संगठनों में भारत की सशक्त भूमिका: अब भारत केवल भागीदार नहीं, बल्कि नीति निर्माता की भूमिका में है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग: आर्थिक ताकत अब इस मांग को और भी मजबूत आधार देती है।
निष्कर्ष: भारत का चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना केवल एक नंबर नहीं, बल्कि एक नई दिशा की ओर बढ़ते राष्ट्र की तस्वीर है। अब यह ज़रूरी है कि यह आर्थिक विकास समाज के हर तबके तक पहुंचे और समावेशी विकास सुनिश्चित किया जाए।

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