Operation Sindoor: पूरी दुनिया भारत के साथ! सिर्फ ये 3 मुस्लिम देश पाकिस्तान को भड़का रहे, कही जंग की बात

 Operation Sindoor: भारत द्वारा हाल ही में शुरू किए गए Operation Sindoor ने न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर हलचल मचा दी है।

पाकिस्तान तुर्की ईरान ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया

यह सैन्य ऑपरेशन अपनी रणनीतिक तैयारी, कूटनीतिक पकड़ और मानवीय पहलू को लेकर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। जहां एक ओर दुनिया के अधिकतर देश भारत के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ चुनिंदा मुस्लिम देश — पाकिस्तान के इशारे पर — इसे भड़काने और युद्ध की धमकी देने का काम कर रहे हैं। इस लेख में हम ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि, इसके उद्देश्य, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और पाकिस्तान के साथ इन 3 मुस्लिम देशों की भूमिका को विस्तार से समझेंगे।

ऑपरेशन सिंदूर क्या है? — पृष्ठभूमि और उद्देश्य

Operation Sindoor भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किया गया एक संयुक्त सैन्य अभियान है, जिसका मकसद भारत के सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद करना और आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना है। इस ऑपरेशन का नाम 'सिंदूर' प्रतीकात्मक रूप से भारतीय संस्कृति की उस परंपरा से जुड़ा है, जो जीवन, शक्ति और सम्मान का प्रतिनिधित्व करता है।

इस ऑपरेशन की शुरुआत अप्रैल 2025 के अंतिम सप्ताह में हुई थी, जब खुफिया एजेंसियों को स्पष्ट सूचना मिली कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों — जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन — ने भारत के जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान सेक्टर में घुसपैठ की योजना बनाई है। भारत ने इस खुफिया जानकारी के आधार पर प्रि-एम्प्टिव स्ट्राइक यानी पहले हमला कर संभावित खतरे को समाप्त करने की रणनीति बनाई।

इस अभियान में भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना और रॉ जैसी एजेंसियों का समन्वय रहा। आधुनिक ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी, साइबर इंटेलिजेंस और स्पेशल फोर्सेज को इसमें तैनात किया गया।

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ऑपरेशन सिंदूर की बड़ी उपलब्धियां

  •  जम्मू-कश्मीर सेक्टर में 7 आतंकी ठिकानों का सफाया
  • भारतीय वायुसेना द्वारा पीओके के 3 लॉन्च पैड पर प्रिसिशन स्ट्राइक
  • भारतीय नौसेना द्वारा अरब सागर में पाक समर्थित हथियारों की खेप जब्त
  • स्पेशल फोर्स द्वारा पंजाब और राजस्थान सीमा पर घुसपैठ की 4 कोशिशें नाकाम
  • कुल 47 आतंकियों का सफाया, 19 जिंदा पकड़े गए

अंतरराष्ट्रीय समर्थन — भारत के साथ खड़े देश

इस ऑपरेशन के तुरंत बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने कदम की वैधता स्पष्ट की। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय यूनियन और जी-20 के सदस्य देशों ने भारत की संप्रभुता और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को जायज ठहराया।

अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर को न केवल समर्थन दिया बल्कि पाकिस्तान और उसके समर्थक आतंकवादी संगठनों की निंदा भी की।

अमेरिका ने कहा — “भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा का पूर्ण अधिकार है और हम आतंकवाद के खिलाफ उसकी कार्रवाई का समर्थन करते हैं।”

रूस ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में उचित ठहराया और पाकिस्तान से आतंकी समूहों को समर्थन न देने की चेतावनी दी।

सऊदी अरब और यूएई जैसे इस्लामिक देशों ने भी भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता दी, जो पाकिस्तान के लिए बड़ा कूटनीतिक झटका है।

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पाकिस्तान की बौखलाहट और भड़काऊ 3 मुस्लिम देश

जहां पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है, वहीं पाकिस्तान अपने परंपरागत रवैये के तहत इस ऑपरेशन को इस्लाम के खिलाफ साजिश बताकर मुस्लिम देशों को भड़काने की कोशिश कर रहा है। हालांकि ज्यादातर इस्लामिक देश उसकी बातों में नहीं आ रहे, लेकिन 3 ऐसे देश जरूर हैं, जो खुलकर पाकिस्तान के पक्ष में आ गए हैं —

  • तुर्किये (Turkey)
  • ईरान (Iran)
  • मलेशिया (Malaysia)

1. तुर्किये की भूमिका

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन पहले से ही पाकिस्तान के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने भारत के ऑपरेशन सिंदूर को ‘मुस्लिमों पर हमला’ बताते हुए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाने की धमकी दी है। तुर्की की सरकार ने अपने मीडिया के जरिए भारत के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान भी शुरू किया है। इसके तहत भारत पर 'मानवाधिकार उल्लंघन' के झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।

2. ईरान का बदला हुआ रुख

पारंपरिक रूप से भारत-ईरान संबंध मधुर रहे हैं, लेकिन हाल ही में पाकिस्तान और ईरान के बीच आपसी समझ बढ़ने के कारण ईरान ने भी भारत के ऑपरेशन की आलोचना की है। तेहरान से जारी बयान में भारत से ‘क्षेत्रीय स्थिरता बिगाड़ने वाले कदम’ न उठाने की बात कही गई है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान का यह रुख अस्थायी और पाकिस्तान के दबाव में लिया गया फैसला है।

3. मलेशिया की मिलीभगत

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम भी पाकिस्तान समर्थक बयानों के लिए कुख्यात हैं। उन्होंने भारत के ऑपरेशन को ‘कश्मीरी मुसलमानों पर जुल्म’ करार देते हुए OIC (ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन) की आपात बैठक बुलाने की मांग की है। भारत ने इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया है और मलेशियाई उत्पादों के बहिष्कार का इशारा भी दिया है।

क्या युद्ध की आशंका है? — भारत का जवाब

पाकिस्तान और उसके यह 3 सहयोगी देश लगातार युद्ध की धमकी दे रहे हैं। लेकिन भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत किसी भी हाल में युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपने नागरिकों और सीमाओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाता रहेगा। भारतीय सेना प्रमुख जनरल प्रदीप जोशी ने बयान दिया —

"यदि पाकिस्तान और उसके सहयोगी देश युद्ध थोपना चाहते हैं तो उन्हें करारा जवाब मिलेगा। भारत शांति चाहता है, कमजोरी नहीं।"

इसके साथ ही भारत ने संयुक्त राष्ट्र, शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन और ब्रिक्स देशों को इस पूरी स्थिति की जानकारी देकर अंतरराष्ट्रीय समर्थन मजबूत कर लिया है।

भारत का कूटनीतिक मास्टरस्ट्रोक — विश्व मंच पर मजबूती

  • UN में भारत का आधिकारिक बयान — आतंकवाद के खिलाफ वैध कार्रवाई
  • अमेरिका-रूस-फ्रांस से उच्च स्तरीय सैन्य संवाद
  • G20 और ब्रिक्स देशों को ब्रिफिंग — वैश्विक समर्थन की लामबंदी
  • OIC में भारतीय मुस्लिम प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी
  • भारतीय मूल के प्रवासियों (NRIs) के माध्यम से वैश्विक जनमत निर्माण

भारत की मजबूती और पाकिस्तान की नाकामी

Operation Sindoor केवल एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक, कूटनीतिक और वैश्विक ताकत का प्रदर्शन है। जहां पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है, वहीं पाकिस्तान की साजिश और उसके 3 सहयोगी देशों की चालें एक बार फिर नाकाम होती दिख रही हैं। भारत की स्पष्ट नीति है — "आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, लेकिन युद्ध की पहल नहीं।"

इसमें कोई दो राय नहीं कि आने वाले दिनों में भारत की इस निर्णायक कार्रवाई 

से न केवल क्षेत्रीय शांति मजबूत होगी बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता भी दिखाई देगी।

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