ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऑपरेशन केलर: आतंक के खिलाफ भारत का आर-पार का युद्ध

ऑपरेशन केलर:- भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को और भी सख्त कर लिया है, जिसका प्रमाण हाल ही में किए गए दो बड़े सैन्य अभियानों—'ऑपरेशन सिंदूर' और 'ऑपरेशन केलर'—से मिलता है। इन अभियानों ने न केवल पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को भी करारा जवाब दिया। 

ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऑपरेशन केलर: आतंक के खिलाफ भारत का आर-पार का युद्ध

ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान में आतंक के अड्डों पर सर्जिकल स्ट्राइक

'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक एयर स्ट्राइक की। इस कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के पांच शीर्ष आतंकवादी मारे गए, जिनमें युसूफ अजहर, मुदस्सर उर्फ अबू जुंदाल, हाफिज मोहम्मद जलील, हसन खान और खालिद उर्फ अबू अकाशा शामिल हैं。  

इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान की सेना ने स्वीकार किया कि भारत के हमले में 26 आतंकवादी मारे गए हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान की हवाई सीमा का उल्लंघन नहीं किया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत को जवाब देने की धमकी दी, लेकिन इस प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि भारत की कार्रवाई सफल रही और पाकिस्तान आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय दबाव में है।

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ऑपरेशन केलर: घाटी में आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम

'ऑपरेशन केलर' जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में सुरक्षा बलों द्वारा चलाया गया एक विशेष अभियान था। इस अभियान में 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) के आतंकवादी और पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड शाहिद कुट्टे को दो अन्य आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मार गिराया गया। इससे पहले सुरक्षा बलों ने कुट्टे के घर को ध्वस्त किया था, जो आतंक से निपटने की नीति का हिस्सा माना गया。  

आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति

पिछले पांच वर्षों में, भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में 720 आतंकवादियों को मार गिराया है। सेना के अनुसार, वर्तमान में घाटी में लगभग 120 से 130 आतंकवादी सक्रिय हैं। सेना की घुसपैठ विरोधी ग्रिड और आतंकवाद विरोधी अभियानों ने जम्मू और कश्मीर में शांति और विकास का माहौल बनाने में मदद की है。 

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, घाटी में इस वक्त करीब 80-90 पाकिस्तानी आतंकी मौजूद हैं। ये पिछले करीब तीन साल से छुपे हुए थे और किसी भी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए लोकल आतंकियों का इस्तेमाल कर रहे थे। फंडिंग रुकने के डर से पिछले कुछ वक्त में इन विदेशी आतंकियों को सक्रिय किया गया है ताकि दहशत फैलाने की कोशिश कर सकें。  

'ऑपरेशन सिंदूर' और 'ऑपरेशन केलर' भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक रणनीति को दर्शाते हैं। इन अभियानों ने न केवल आतंकियों के मनोबल को तोड़ा है, बल्कि पाकिस्तान को भी स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। इन कार्रवाइयों से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत अब आतंकी गतिविधियों को सहन नहीं करेगा और जरूरत पड़ने पर प्रत्यक्ष कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा。  

इन सफलताओं के साथ, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और भी मजबूत किया है और यह संदेश दिया है कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है। 

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कैसे शुरू हुआ ऑपरेशन?

"ऑपरेशन केलर" उस वक्त शुरू किया गया जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी घायल हुए और एक आम नागरिक की जान गई। इसके तुरंत बाद, भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF ने मिलकर एक जॉइंट ऑपरेशन प्लान किया।

मुख्य टारगेट कौन था?

इस ऑपरेशन का मुख्य निशाना था TRF (The Resistance Front) नाम के आतंकी संगठन का कमांडर शाहिद कुट्टे। यह वही आतंकवादी था जो पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था। शाहिद कुट्टे के साथ उसके दो अन्य साथी आतंकियों को भी घेराबंदी कर मुठभेड़ में मार गिराया गया।

ऑपरेशन की रणनीति

सेना ने पहले शाहिद के गांव को पूरी तरह से घेर लिया। किसी भी नागरिक को नुकसान न हो इसके लिए ड्रोन और हीट सेंसिंग तकनीक का प्रयोग किया गया। जैसे ही आतंकियों ने गोलीबारी शुरू की, जवाबी कार्रवाई में तीनों को खत्म कर दिया गया।

कुट्टे का घर गिराया गया

सरकार ने स्पष्ट संदेश देते हुए शाहिद कुट्टे के घर को भी JCB से ध्वस्त कर दिया। यह संदेश था – जो आतंक फैलाएगा, उसकी जड़ें खत्म कर दी जाएंगी।

ऑपरेशन का व्यापक प्रभाव

आतंकी नेटवर्क को बड़ा झटका

इन दोनों ऑपरेशनों से आतंकियों के नेटवर्क को करारा झटका लगा है। PoK में चल रहे ट्रेनिंग कैंपों को खत्म कर देना और घाटी में TRF जैसे संगठन के सरगना को खत्म करना आतंकवाद की रीढ़ तोड़ने जैसा था।

लोकल आतंकियों का मनोबल टूटा

इन ऑपरेशनों के बाद घाटी में स्थानीय आतंकियों की भर्ती में भी कमी आई है। कश्मीर की नई पीढ़ी अब आतंक से दूरी बना रही है और सरकारी योजनाओं के ज़रिए विकास से जुड़ रही है।

भारतीय सेना की रणनीति में क्या बदलाव आया?

  • इंटेलिजेंस आधारित हमले: अब सेना और RAW मिलकर हाइपरलोकल इंटेलिजेंस पर काम करते हैं।
  • हाई टेक्नोलॉजी का उपयोग: ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी, नाइट विज़न कैमरा का उपयोग तेजी से बढ़ा है।
  • लोकल सपोर्ट: कश्मीरी जनता में सेना के लिए सहयोग की भावना बढ़ी है।

अब घाटी में कितने आतंकी सक्रिय?

भारतीय सेना के अनुसार, इस समय घाटी में लगभग 120 से 130 आतंकी सक्रिय हैं। इनमें से करीब 80 पाकिस्तानी हैं जो लंबे समय से छुपे हुए हैं और अब सीधे हमलों में शामिल होने लगे हैं।

कश्मीर में आतंक की नई रणनीति

लोकल आतंकी बनाम विदेशी आतंकी

हाल के समय में पाकिस्तानी आतंकी संगठनों ने स्थानीय युवाओं की भर्ती कम कर दी है और अपने प्रशिक्षित लड़ाकों को आगे ला रहे हैं। इसका कारण है कि स्थानीय युवाओं के मारे जाने से घाटी में आक्रोश फैलता था और इसका उपयोग कट्टरपंथ फैलाने में होता था।

फंडिंग बंद होने का डर

एक बड़ी वजह है फंडिंग का संकट। पाकिस्तान FATF के प्रेशर में है और ऐसे में भारत ने हर उस लिंक को बंद कर दिया है जिससे आतंकियों को पैसा मिलता था। इसलिए वे आतंकी घटनाओं को बढ़ाकर इंटरनेशनल इस्लामिक नेटवर्क से पैसे जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत की जवाबी नीति: Zero Tolerance

भारत सरकार और सेना अब किसी भी आतंकी गतिविधि को हल्के में नहीं लेती। आज की नीति स्पष्ट है – “पहले हमला करो, बाद में बताओ”। इस नीति के तहत अब:

  • सर्जिकल स्ट्राइक को नियमित रणनीति बना दिया गया है।
  • टेरर फंडिंग पर पूरी तरह से शिकंजा कसा गया है।
  • डिप्लोमैटिक स्तर पर भी पाकिस्तान को घेरा जा रहा है।

आतंक के खिलाफ निर्णायक मोड़

"ऑपरेशन सिंदूर" और "ऑपरेशन केलर" केवल दो सैन्य अभियानों के नाम नहीं हैं, बल्कि ये भारत की आतंकवाद के खिलाफ बदलती नीति का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब भारत रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति अपना रहा है। आतंक के खिलाफ यह नई लहर अब सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं है, यह आतंकियों की सोच, फंडिंग, नेटवर्क और मानसिकता – सब पर हमला है।

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