DRDO और भारतीय वायुसेना ने Su-30 MKI से स्वदेशी 'अस्त्र' मिसाइल का सफल परीक्षण किया – जानिए क्या है इसकी ताकत और रणनीतिक महत्व
भारत ने एक बार फिर स्वदेशी तकनीक से दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय वायुसेना (IAF) ने मिलकर Su-30 MKI फाइटर जेट से देश में बनी 'अस्त्र' (Astra) मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल "बियॉन्ड विजुअल रेंज" यानी दृश्य सीमा से बाहर जाकर दुश्मन को मार गिराने में सक्षम है।
इस परीक्षण ने न सिर्फ भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को और धार दी है, बल्कि 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत स्वदेशी हथियार प्रणालियों के निर्माण को भी मजबूती दी है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि 'अस्त्र' मिसाइल क्या है, इसका परीक्षण क्यों अहम है, Su-30 MKI की भूमिका क्या है, और इस तकनीक से भारत को क्या-क्या फायदे मिलेंगे।
क्या है ‘अस्त्र’ मिसाइल?
अस्त्र मिसाइल भारत की पहली स्वदेशी बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) है। इसका निर्माण DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने किया है। यह एक सुपरसोनिक मिसाइल है, जो हवा से हवा में दुश्मन के विमानों को 100 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी से निशाना बना सकती है, वो भी बिना सामने से देखे।
मुख्य विशेषताएं:
रेंज: लगभग 100-110 किलोमीटर तक
गति: 4.5 मैक (ध्वनि की गति से 4.5 गुना तेज)
मार्गदर्शन प्रणाली: एक्टिव रडार होमिंग
वजन: लगभग 154 किलोग्राम
लंबाई: लगभग 3.8 मीटर
प्रकार: हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल
वारहेड: हाई-एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन
परीक्षण कब और कैसे हुआ?
यह परीक्षण जुलाई 2025 की शुरुआत में किया गया, जिसमें भारतीय वायुसेना के Su-30 MKI विमान से ‘अस्त्र’ मिसाइल को लॉन्च किया गया। परीक्षण के दौरान, एक नकली लक्ष्य को ट्रैक कर मिसाइल को दागा गया और उसने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को नष्ट कर दिया।
DRDO और IAF की टीम ने इस पूरे परीक्षण को बारीकी से मॉनिटर किया। मिसाइल की परफॉर्मेंस, मार्गदर्शन, लक्ष्य भेदन की सटीकता और रेंज जैसे हर पहलू पर ध्यान दिया गया और यह पूरी तरह सफल रहा।
Su-30 MKI की भूमिका
Su-30 MKI भारत का सबसे शक्तिशाली मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे रूस के साथ मिलकर HAL (Hindustan Aeronautics Limited) ने भारत में तैयार किया है। यह दो इंजन वाला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है, जो मिसाइल, बम और लेजर गाइडेड हथियारों को ढोने में सक्षम है।
‘अस्त्र’ मिसाइल को Su-30 MKI से लॉन्च करने की प्रक्रिया को "इंटीग्रेशन" कहते हैं, जो तकनीकी रूप से काफी जटिल होती है। DRDO ने इसे सफलतापूर्वक इंटीग्रेट किया और यह सुनिश्चित किया कि मिसाइल की फायरिंग के बाद विमान पर कोई प्रभाव न पड़े।
क्यों खास है ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ मिसाइल?
‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ (BVR) तकनीक का मतलब है कि मिसाइल अपने टारगेट को बिना पायलट की आंखों के सामने आए हुए ही मार गिरा सकती है। यह रडार और सेंसर की मदद से लक्ष्य को पहचानती है और फिर तेज गति से हमला करती है।
इसके फायदे:
1. दुश्मन के हमले से पहले हमला: दुश्मन के विमान को उसकी रेंज में आने से पहले ही खत्म किया जा सकता है।
2. सुरक्षा: फाइटर पायलट को खतरे में पड़ने की संभावना कम होती है।
3. रणनीतिक बढ़त: यह तकनीक आधुनिक हवाई युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाती है।
DRDO की बड़ी सफलता
‘अस्त्र’ का विकास DRDO के कई प्रमुख केंद्रों – जैसे कि हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (DRDL) और रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) – द्वारा किया गया है। इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) जैसी कंपनियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
DRDO ने 'अस्त्र' मिसाइल को Su-30 MKI के अलावा तेजस और मिग-29 जैसे भारतीय वायुसेना के अन्य विमानों के लिए भी अनुकूल बनाने की योजना बनाई है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में यह मिसाइल भारतीय वायुसेना की रीढ़ बन सकती है।
रक्षा मंत्री का बयान
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के बाद DRDO और IAF को बधाई दी और कहा कि यह "रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की ओर एक और मजबूत कदम है।" उन्होंने आगे कहा कि स्वदेशी तकनीकों का उपयोग न सिर्फ विदेशी निर्भरता को घटाएगा बल्कि भारत को विश्व स्तर पर आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र बनाएगा।
आत्मनिर्भर भारत के सपनों की उड़ान
‘अस्त्र’ मिसाइल का सफल परीक्षण 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन की एक और ऊँची उड़ान है। भारत लंबे समय तक विदेशी BVR मिसाइलों जैसे कि फ्रांस की ‘मिका’ और रूस की ‘R-77’ पर निर्भर रहा है। लेकिन अब DRDO ने अपने दम पर ऐसी मिसाइल तैयार कर ली है, जो इन विदेशी तकनीकों को टक्कर देने में सक्षम है।
यह भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता को और मजबूत बनाता है, साथ ही हमारे रक्षा बजट को भी बचाता है क्योंकि स्वदेशी हथियारों की लागत विदेशी हथियारों की तुलना में कम होती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या महत्व है?
आज की दुनिया में BVR मिसाइलों की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। चीन, अमेरिका, रूस, इज़राइल और फ्रांस जैसे देश पहले से ही ऐसी मिसाइलें विकसित कर चुके हैं। भारत की ‘अस्त्र’ मिसाइल अब इस वैश्विक क्लब में शामिल हो गई है। यह ना सिर्फ भारत के लिए गर्व का विषय है बल्कि इससे भारत रक्षा उपकरणों के निर्यातक के रूप में भी उभर सकता है।
भविष्य की योजनाएं – 'अस्त्र Mk-2' और 'Mk-3'
DRDO ‘अस्त्र Mk-2’ और ‘Mk-3’ नाम से अगली पीढ़ी की मिसाइलों पर भी काम कर रहा है, जिनकी रेंज 160 से 300 किलोमीटर तक हो सकती है। इन नए वर्जन में ड्यूल-पल्स मोटर, AESA रडार और मल्टी टारगेट ट्रैकिंग जैसी उन्नत सुविधाएं होंगी।
इसके अलावा नौसेना के लिए ‘अस्त्र नेवल वर्जन’ भी तैयार किया जा रहा है, जिसे समुद्री प्लेटफॉर्म्स से लॉन्च किया जा सकेगा।
निष्कर्ष – भारत अब दूसरों का मोहताज नहीं
‘अस्त्र’ मिसाइल का सफल परीक्षण केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता और रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह साबित करता है कि भारत अब आधुनिक युद्ध के हर मोर्चे पर तैयार है
DRDO, HAL, BEL, BDL और भारतीय वायुसेना की साझा मेहनत ने इस मिशन को सफल बनाया है, जिससे भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा बेहतर कर सकता है बल्कि भविष्य में रक्षा निर्यात में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है।

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