यूट्यूबर ज्योति रानी मल्होत्रा की गिरफ्तारी: जब सोशल मीडिया से जुड़े एक चेहरे पर लगा जासूसी का गंभीर आरोप
21वीं सदी में सोशल मीडिया एक सशक्त मंच बन गया है, जहां लोग अपनी बातों को लाखों-करोड़ों तक पहुंचा सकते हैं। मगर जब यही मंच किसी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाए, तो यह बेहद चिंताजनक स्थिति बन जाती है। हाल ही में हरियाणा की एक महिला यूट्यूबर ज्योति रानी मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने पूरे देश को चौंका दिया है।
आरोप है कि वह पाकिस्तान से संपर्क में थीं और गोपनीय जानकारियां साझा कर रही थीं। यह घटना न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी एक सीख है कि डिजिटल दुनिया में अति उत्साही होकर विदेशी संपर्कों से जुड़ना कितना खतरनाक हो सकता है।
कौन हैं ज्योति रानी मल्होत्रा?
ज्योति रानी मल्होत्रा हिसार, हरियाणा की रहने वाली एक ट्रैवल व्लॉगर और यूट्यूबर हैं। उनके यूट्यूब चैनल "Desi Indo Jo" और "Travel with Jo" पर लाखों सब्सक्राइबर्स थे। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के धार्मिक स्थलों, लोगों और संस्कृति को जोड़ने वाली वीडियो सीरीज़ बनाई थी, जिनमें उन्हें खासा व्यूज और लोकप्रियता भी मिली थी।
उनकी यात्रा 2022 में पाकिस्तान तक पहुंची थी, जहाँ उन्होंने लाहौर, कराची, इस्लामाबाद आदि स्थानों का दौरा किया और स्थानीय लोगों से मुलाकात की। वीडियो में वे पाकिस्तान की सराहना करती दिखाई दीं और एक ‘पॉजिटिव’ छवि पेश की। लेकिन अब उन पर आरोप है कि इसी दौरान उन्होंने कुछ संदिग्ध संपर्क बनाए और वहीं से उनके जासूसी नेटवर्क की शुरुआत हुई।
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गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि
13 मई 2025 को दिल्ली से पाकिस्तान के एक वाणिज्यिक अधिकारी को "Persona Non Grata" घोषित कर भारत से निष्कासित किया गया। इसी अधिकारी के संपर्क में ज्योति रानी भी बताई जा रही हैं। एनआईए और IB की संयुक्त जांच के बाद 17 मई 2025 को हरियाणा पुलिस ने ज्योति को उनके हिसार स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया।
उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 121A (राजद्रोह), 120B (षड्यंत्र), और ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि उन्होंने पाकिस्तान उच्चायोग से जुड़े अधिकारी के साथ जानकारियां साझा की थीं और इसके लिए उन्हें विशेष ऐप्स और माध्यम दिए गए थे।
कैसे हुआ शक?
ज्योति की सोशल मीडिया गतिविधियों पर खुफिया एजेंसियों की नजर तब पड़ी जब उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा के बाद भी वहां के अधिकारियों से संपर्क बनाए रखा। उनके कुछ वीडियो और इंस्टाग्राम पोस्ट में इस्तेमाल की गई भाषा, कुछ संदिग्ध स्थानों की तस्वीरें, और पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों के पास शूट की गई क्लिप्स से सुरक्षा एजेंसियों को शक हुआ।
इसके बाद उनके फोन, लैपटॉप, सोशल मीडिया अकाउंट और बैंक ट्रांजेक्शन की गहन जांच की गई। जांच में यह भी सामने आया कि वह विशेष टेलीग्राम चैनलों के माध्यम से विदेशी एजेंटों से संवाद करती थीं। कहा जा रहा है कि उन्हें "ड्रॉपबॉक्स" जैसे ऐप्स के माध्यम से फोटोज, डॉक्युमेंट्स और वीडियो क्लिप्स साझा करने के निर्देश दिए गए थे।
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पाकिस्तान से उनके संबंध
ज्योति ने पाकिस्तान में रहते हुए कई बार वहां की सेना, खुफिया एजेंसी ISI के अधिकारियों और पत्रकारों से मुलाकात की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने ‘सांस्कृतिक जुड़ाव’ के नाम पर सेना की गतिविधियों वाले क्षेत्रों का दौरा किया और उसका कंटेंट अपने चैनल पर डाला।
उनके पाकिस्तान यात्रा के समय उन्हें वहां के सरकारी मेहमान जैसा सम्मान मिला। सवाल यह है कि एक भारतीय नागरिक को उस स्तर की सुविधाएं और पहुंच कैसे मिलीं? अब सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या उनकी यात्रा एक तय योजना के तहत थी।
सोशल मीडिया की शक्ति और खतरा
सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन चुका है जहां एक व्यक्ति बिना किसी सीमा के लाखों लोगों तक पहुंच बना सकता है। लेकिन यह ताकत एक हथियार भी बन सकती है अगर इसका इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए किया जाए। ज्योति की लोकप्रियता, उनके द्वारा क्रॉस-बॉर्डर संबंधों की वकालत और उनकी डिजिटल पहुंच ही उन्हें पाकिस्तानी एजेंसियों के लिए एक 'उपयुक्त टूल' बना गईं।
क्या मिला ज्योति को?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ज्योति ने सिर्फ लोकप्रियता के लिए यह किया या उन्हें इसके बदले कोई आर्थिक या अन्य लाभ मिला? अब तक की जांच में कुछ संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन की जानकारी मिली है, जो फॉरेन सोर्सेस से हैं। हालांकि, यह साबित नहीं हुआ है कि ये पैसे जासूसी के बदले मिले।
उनके यूट्यूब चैनल की कमाई लाखों में थी, और उनके पास लग्जरी गाड़ियाँ, विदेश यात्राओं का खर्च और ब्रांडेड सामान था, जिससे उनकी जीवनशैली हाई-प्रोफाइल लगती थी। कई बार ऐसे लोग 'सोशल मीडिया स्टारडम' की चाह में उन रास्तों पर चल पड़ते हैं, जो अंततः उन्हें अपराध के दलदल में धकेल देते हैं।
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का बयान
हिसार पुलिस अधीक्षक ने प्रेस को बताया कि “हमारे पास पर्याप्त इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य हैं जिससे यह साबित होता है कि ज्योति पाकिस्तान के एक निष्कासित अधिकारी के संपर्क में थीं। उनसे मिली जानकारी से कई सुराग मिले हैं, जो आगे की जांच में मदद करेंगे।”
एनआईए, RAW और IB मिलकर अब उनके पुराने वीडियो, पाकिस्तान यात्रा का रूट, जिन-जिन लोगों से वह मिलीं और सोशल मीडिया कम्युनिकेशन की गहन जांच कर रहे हैं।
ज्योति के समर्थकों की प्रतिक्रिया
ज्योति के कुछ फॉलोअर्स और समर्थकों का कहना है कि यह पूरी घटना एक गलतफहमी हो सकती है और उन्हें "टारगेट" किया जा रहा है। हालांकि, देश की सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाली एजेंसियां जब तक ठोस सबूत न पाए हों, तब तक कोई कार्रवाई नहीं करतीं। ऐसे में यह दावा करना कि वह निर्दोष हैं, अभी जल्दबाज़ी होगा।
यह घटना न केवल एक जासूसी का मामला है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि कैसे सोशल मीडिया की ताकत का गलत इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। आज हर व्यक्ति जो डिजिटल दुनिया में एक्टिव है, उसे समझना होगा कि उसकी गतिविधियां केवल पब्लिक डोमेन में नहीं रहतीं, बल्कि उन्हें राष्ट्र विरोधी ताकतें भी बारीकी से देख रही होती हैं।
ज्योति मल्होत्रा का मामला यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया की ताकत के साथ जिम्मेदारी और सतर्कता भी आवश्यक है। अगर यह साबित होता है कि उन्होंने जानबूझकर संवेदनशील जानकारी साझा की, तो यह उनके फॉलोअर्स, डिजिटल समुदाय और राष्ट्र के लिए एक गहरा झटका होगा।

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