पाकिस्तान और आतंकवाद का रिश्ता कोई नया नहीं है। लेकिन जब एक संप्रभु राष्ट्र की सैन्य कार्रवाई के बाद वहां के नेता और मंत्री सीधे आतंकियों से माफी मांगते नजर आएं, तो यह केवल एक देश की छवि नहीं, बल्कि पूरी अंतरराष्ट्रीय शांति व्यवस्था के लिए गंभीर सवाल उठाता है। भारत की हालिया "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद पाकिस्तान की हकीकत फिर एक बार बेनकाब हो चुकी है। अमेरिकी अखबार और अन्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने भी पाकिस्तान के दोहरे चरित्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ स्ट्राइक – पाकिस्तान में तबाही का पैगाम
भारत सरकार ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आत्मघाती हमले के बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए "ऑपरेशन सिंदूर" लॉन्च किया। इस सैन्य ऑपरेशन के अंतर्गत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। भारत के लड़ाकू विमानों और ड्रोन के हमले से लश्कर, जैश और हिज्बुल जैसे संगठनों के ठिकानों का सफाया कर दिया गया।
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प्रमुख लक्ष्य और हिट्स:
- मीरपुर और कोटली में लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंप
- बहावलनगर के निकट जैश-ए-मोहम्मद की गुप्त ठिकाना
- सैफुल्ला कसूरी के अड्डे, जो पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड माने जा रहे हैं
इस ऑपरेशन में भारत ने सटीकता से काम लिया और आम नागरिकों को कोई हानि न हो, इसका भी ध्यान रखा।
जब पाकिस्तानी नेता पहुंचे आतंकियों के जनाजे में
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो सबसे चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आईं, वे थीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ असीम मुनीर की उन आतंकियों के जनाजे में उपस्थिति, जो भारत के हमले में मारे गए थे। यह दृश्य पाकिस्तान के अंदर की उस असलियत को दर्शाता है जिसे दुनिया सालों से समझने की कोशिश कर रही है – आतंकवाद और सत्ता का गठजोड़।
जनाजे की नमाज खुद लश्कर के प्रमुख हाफिज सईद के भाई हाफिज रऊफ ने पढ़ाई, जिसमें ISI, पाक आर्मी और गृह मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल थे।
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अमेरिकी अखबार ने खोली पोल
प्रसिद्ध अमेरिकी अखबार The Washington Post और The New York Times ने पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीति पर गहन रिपोर्टिंग की। एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि पाकिस्तान के मंत्री खुद लश्कर कमांडरों से माफी मांगते देखे गए, क्योंकि वे भारत के हमले को रोक नहीं पाए। यह न केवल पाकिस्तान की कमज़ोरी दर्शाता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि आतंकियों के सामने उनका शासन कितना दबा हुआ है।
इन रिपोर्ट्स के अनुसार:
- खुफिया रिपोर्ट्स में पाकिस्तानी मंत्री आतंकवादियों के संपर्क में पाए गए
- पाक सेना की सहमति से आतंकियों को नए सुरक्षित स्थान मुहैया कराए गए
- पाक मीडिया को इन घटनाओं को छिपाने के आदेश दिए गए
एक वीडियो इंटरव्यू और मंत्री की बेइज्जती
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने जब एक विदेशी न्यूज़ चैनल पर भारत की कार्रवाई को 'झूठा प्रचार' बताने की कोशिश की, तो एंकर यल्दा हकीम ने उनके ही रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के पुराने बयानों को चलाकर उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया। मंत्री बोलते-बोलते झल्ला गए और साक्षात्कार बीच में ही बंद करना पड़ा।
यह पूरी घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और लोगों ने पूछा – “अगर हमला झूठा है, तो मंत्री आतंकियों से माफी क्यों मांग रहे हैं?”
जनरल असीम मुनीर की भूमिका और भड़काऊ बयान
पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने कश्मीर को "पाकिस्तान की शह-रग" बताया और यह दावा किया कि कश्मीर को लेकर ‘जिहाद’ जारी रहेगा। इस बयान को सुरक्षा विशेषज्ञों ने पहलगाम हमले का संभावित ‘डॉग-व्हिसल’ बताया है यानी आतंकियों को संकेत देना।
उनकी बयानबाज़ी ने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को और उकसाया और वही साजिश भारत पर हमले के रूप में सामने आई।
पाकिस्तानी सेना में मची अफरा-तफरी
भारत की स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के सेना मुख्यालय में हलचल मच गई। उच्च सूत्रों के अनुसार, कई जनरलों ने अपने परिवारों को खुफिया रूप से देश से बाहर भेज दिया। निजी विमानों से दुबई, तुर्की और लंदन के लिए उड़ानों की संख्या अचानक बढ़ गई।
यह डर स्पष्ट था – उन्हें आशंका थी कि भारत एक और बड़ी कार्रवाई कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और भारत का बढ़ता कद
भारत की इस कार्रवाई पर अमेरिका, फ्रांस, रूस और जापान जैसे देशों ने आतंक के खिलाफ कदम उठाने की सराहना की। अमेरिका ने कहा कि भारत को अपने नागरिकों की रक्षा के लिए कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि ने पाकिस्तान के आतंकवादी संबंधों की तस्वीरें और प्रमाण पेश किए, जिसे विश्व स्तर पर गंभीरता से लिया गया।
पाकिस्तान का दोहरा चरित्र: इतिहास से अब तक
1947 से लेकर 2025 तक, पाकिस्तान की नीति हमेशा “आतंक और बातचीत” की रही है। कारगिल युद्ध के बाद भी नवाज शरीफ ने कहा था कि सेना ने उन्हें अंधेरे में रखा। लेकिन आज हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि मंत्री खुद आतंकियों के दरबार में पेश हो रहे हैं।
पहले के उदाहरण:
- 1999: कारगिल युद्ध के दौरान ISI-लश्कर की सांठगांठ
- 2008: मुंबई हमले में ISI और पाक नौसेना की भूमिका
- 2016: उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक
- 2019: पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक
- 2025 की "ऑपरेशन सिंदूर" इन्हीं कड़ियों की अगली कड़ी है।
अब और नहीं सहेंगे
भारत की यह कार्रवाई और पाकिस्तान की आतंकी समूहों के सामने गिड़गिड़ाहट साफ बताती है कि अब भारत पीछे हटने वाला नहीं है। आतंक के अड्डों को छुपाने या उनसे समझौता करने वाले देश अब बच नहीं सकते।
अब वैश्विक मंच पर यह जिम्मेदारी बन चुकी है कि पाकिस्तान जैसे देशों को आतंकवाद का संरक्षण देने पर गंभीर प्रतिबंधों और कार्रवाई का सामना करना पड़े।

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